जीवन का आइना

 छोटी सी जिंदगी है, सबका अपना अपना नजरिया है इसे देखने का ।लेकिन सच्चाई तो ये है की कोई कुछ भी समझे हमारे जीवन में वही होता है जो ईश्वर को मंजूर हो और जैसे हमारे कर्म हो ।और अगर जीना है तो हिम्मत रखना ही पड़ेगा क्योंकि हर वयक्ति अपनी परेशानी में उलझा हुआ है आज के युग में किसी से भी जितना हो सके अपेक्षा कम रखनी चाहिए।


लेकिन फिर भी हम अपने आपको रोक नही पाते है जब बात हमारे अपनी की आती है ये कुदरती है की हम उनकी ओर खींचे चले जाते है और फिर अपेक्षाओं के चक्र में फस के अपने आप को दुखी कर लेते हैं और ना जाने कितने अनचाहे बीमारियों को बुला लेते है ।


इन सब से अगर बचना है तो मेरे। हिसाब से योगा और मेडिटेशन हर व्यक्ति को अपने जीवन में शामिल करना चाहिए ।

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